भरीया जनजातीक अदमी नहून बड़ा देव, बूड़ा देव, मूतवा देव अर नागबाबा को पूजत। अर होरनक तीहार होली, दीवाली, बूजलीया, अखाड़ी, सीवरातरी, जेवंती अर रक्छाबंदन आछर। मडय में रात भरी सत्ता में ढूलकी बजायके नाचत अर कछू कछू मूरती पूजा करत, अर नारीयल बी पोडत।
भरीया अदमी नहून कोय बी मर्र ता ग्यारमी करत। या करत तेराको ‘बड़ी रोटी’ बोलत। या बड़ी रोटी में एक ठूला टोंघा में मरी मूरारा अदमीक मूरती बनावत अर एराको पूजत अर घराक देव बनावत।