भरीया जनजातीक खास बात

 भरीया जनजातीक पूरय अदमी नहून जंगलाक सबय जड़ी-जंनतरन को अच्‌छय से जानत। अर होर कछू बी बीमारी चा आफत आहीर ता डाकटर कने नी जात बनो होर खूदय जंगाला में जायके जड़ी-जंतर लायके खात अर सूदाड़ी जात। होर जड़ीनक नाम एर आछर: केवकंद, सूफेद मूसली, काली मूसली, सतावर, कडूपाट, दारूहलद, रकत बीडार, बीजा सार, भरदा कांदा, जंगली अदरक, सीलाजीत, दाऊरी कंद, अंतमूल, भेंसाताड़, भीरंगराज अर कवसाज।

एर पूरय जड़ी-जनतरन को होर खूदय बवूजत अर बाहरा लेके आयके बेचत। एर जड़ी-जनतरन देनवारन को अर बेचन वारन को ‘पड़ीहार’ अर ‘भूमका’ काहत।

पतालकोटाक जड़-जनतरन

जड़ी-जंनतर

पतालकोटाक खास जड़

ऊंट काटा जड़ी

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